“सुख-दुःख”
“सुख-दुःख”
सुख आये तो ज्यादा हरष नहीं,
दुःख आये तो ज्यादा बरस नहीं।
सुख – दुःख जीवन के दो पहलू,
सदा नीरस ना सरस नहीं।
“सुख-दुःख”
सुख आये तो ज्यादा हरष नहीं,
दुःख आये तो ज्यादा बरस नहीं।
सुख – दुःख जीवन के दो पहलू,
सदा नीरस ना सरस नहीं।