सुख दुःख ही तो दुनिया की गाड़ी को चलाते है
सुख भी मुझे प्यारे है
दुःख भी मुझे प्यारे है
छोडूं मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे हैं
सुख दुःख ही तो दुनिया की गाड़ी को चलाते है
सुख दुःख ही तो इन्सां को इन्सान बनाते हैं
संसार की नदिया के दोनों ही किनारे है
छोडू मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे है !!!
दुःख चाहे कोई नहीं
सब सुख को तरसते है
दुःख में सब रोते है
सुख में सब हँसते है
सुख मिले है जिनको भी
दुःख भी तो सहारे है
छोडू मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे है !!!
मै कैसे कहूँ तुझको
मुझे ये दो वो दे दो
जो भी हो तेरी मर्ज़ी
मर्ज़ी से तू वो दे दो
मैंने तो तेरे आगे
दोनों हाथ पसारे है
छोडू मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे है !!!
सुख में तेरा शुक्र करू
दुःख में फरियाद करू
जिस हाल में तुम रखो
उस हाल में याद करूँ
यादों में तेरी मैंने
यह गीत सँवारे है
छोडू मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे है !!!
जो तेरी रज़ा उसमें
मैं दे दूँ दखल कैसे
मैं कैसे कहूँ भगवन
मेरे कर्मों के फल ऐसे
चख के भी न देखुँगा
मीठे हैं या खारे हैं
छोडू मैं किसे भगवन
दोनों ही तुम्हारे है
सुख भी मुझे प्यारे हैं
दुःख भी मुझे प्यारे हैं
दीवाली कालरा सरिता विहार नई दिल्ली