सुखदाई सबसे बड़ी, निद्रा है वरदान (कुंडलिया)*
सुखदाई सबसे बड़ी, निद्रा है वरदान (कुंडलिया)*
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सुखदाई सबसे बड़ी , निद्रा है वरदान
जब आती इंसान को ,लगती स्वर्ग – समान
लगती स्वर्ग – समान ,नींद अति सुंदर प्यारी
इसके सम्मुख तुच्छ ,वस्तु जग की है सारी
कहते रवि कविराय, मौज की कुंजी पाई
सोओ घोड़े बेच ,स्वास्थ्य पाओ सुखदाई
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सोओ घोड़े बेच = चैन की नींद सोना
कुंजी = ताले की चाबी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451