सीलन
सीलन
ये बड़ा ही उम्र दराज़ घर है
मेरे बाप दादाओं की उम्र से भी बड़ा
अब कोई मरम्मत नहीं करता है इसकी
छत पर जाओ तो काई सी जमी है
दीवारों पर दरारें आ गयीं हैं
बारिशों में ख़ूब पानी बरसता है
रिसता है धीरे धीरे दीवारों में
माँ कहती है सीलन आ गयी है
रिश्तों की सीलन
वो आता है कभी कभार
सीमेंट लगा जाता है दरारों पर
अब रिश्तों के घाव
बैंड-एड से भरते हैं क्या
बस एक धूप चाहिए
अनुराग की, विश्वास की, भरोसे की,
सफ़ेद चटक धूप
सारी सीलन हवा हो जाती है फिर
दीवारें साँस लेने लगती है
उम्र बढ़ जाती है घर की
रिश्ते चमकने लगते हैं
@संदीप