Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

सीरत अच्छी या सूरत

किसी ने कहा कि
तुम काली हो ..तो वह नये नये तरीकों से
रंग स्वारेगी
किसी ने कहा कि तुम मोटी हो
तो वह खाना छोड़ ,
अपने आपको तुम्हारे काबिल बनाने लग जायेंगे..
किसी ने कहा कि तुम छोटी हो..
तो वो हील पहन ..
तुम्हारे साथ बराबरी करेगी
तुम्हारी हर कमियो को नजरंदाज करती
अपनी हर कमी को सुधरती…
तुम से इतना उप्पर चली जाती हैं कि
उसमे कोई भी कमी नहीं रहती…😊
और तुम हमेशा की तरह ..
नाक मुह सुकड़े से ..
कोई नई कमी ढूढ़ने में लग जायेंगे…
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊

Language: Hindi
97 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
.... कुछ....
.... कुछ....
Naushaba Suriya
प्रिय, बीत गये मधुमास....
प्रिय, बीत गये मधुमास....
TAMANNA BILASPURI
2634.पूर्णिका
2634.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
surenderpal vaidya
दुमदार दोहे
दुमदार दोहे
seema sharma
संदेशे भेजूं कैसे?
संदेशे भेजूं कैसे?
Manisha Manjari
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
Phool gufran
पुस्तक समीक्षा - गीत सागर
पुस्तक समीक्षा - गीत सागर
Sudhir srivastava
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
गीत- हमें मालूम है जीना...
गीत- हमें मालूम है जीना...
आर.एस. 'प्रीतम'
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
कैद परिंदें
कैद परिंदें
Santosh Soni
गणित का सत्य
गणित का सत्य
Dr. Vaishali Verma
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
उमा झा
सवैया
सवैया
Rambali Mishra
■ बे-मन की बात।।
■ बे-मन की बात।।
*प्रणय*
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
- दिल का दर्द मेरे में किसको सुनाऊ -
- दिल का दर्द मेरे में किसको सुनाऊ -
bharat gehlot
अकेलापन
अकेलापन
Neerja Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
श्री रामलला
श्री रामलला
Tarun Singh Pawar
भोर में उगा हुआ
भोर में उगा हुआ
Varun Singh Gautam
आए गए महान
आए गए महान
Dr MusafiR BaithA
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
Dr Tabassum Jahan
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...