सीख
आसमान में चहचहाती हुई चिड़िया
बोली सुन लो वसुधावासी मानव प्यारे
द्वेष,वैर,धुर्तता,कपटता भूल के तुम
प्रेम प्यार की डोर में बंध जाओ सारे
आन बान और.शान की खातिर
जग में झूठे अभिमान की खातिर
पद प्रतिष्ठा मान सम्मान की खातिर
क्यों तोड़ रहा है तू अपना भाईचारा
तोड़ता है तू इन्सानियत की सीमा और
तोड़े मर्यादित मानवीय विचारधारा
क्यों मोह माया के जाल में फँसकर
क्यों जोड़े धन माया का अपार खजाना
दो दिन के लिए है जग में आया
किस के लिए तूँ बना रहा है जग में
शीश महल अटारी और चौबारा
ऊपर वाले की एक चोट से ही तेरा
बिखर जाएगा यह महल चौबारा
मेरी तरह तू दाना चोगा चुगकर नीड़ में
एकत्रित कर, दे सबको प्रेम बुलावा
एक स्थल पर भक्षण करो तुम सब
कितना हो सुन्दर हसीन प्रेम भरा नजारा
मानव जन्म हैं यहाँ दुर्लभ पाया
कमाओ प्रेम की दौलत का खजाना
भाईचारे इन्सानियत से बढकर
कोई नहीं हैं खुशियों का पिटारा
दुख हर लो, खुशियाँ हँसी तुम बाँटों
फिर देखना तुम व्यथित मन अन्दर
स्थिरता,शिथिलता,संतुष्टि और शान्ति का
घर होगा,और होगा मौजों का उजियारा
तेरा मानव जन्म साकार हो जाए
मिलेगा मानवता का अपार खजाना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत