सीख लिया मैनै
गागर में सागर भरना सीख लिया मैंने
ग़म के साये में मुस्कराना सीख लिया मैंने
हरा नहीं सकता कोई जीतना सीख लिया मैंने
घर से बाहर निकल चलना सीख लिया मैंने
हुनरपंख फैला उन्मुक्त गगन में उड़ना सीख लिया मैंने
उमंग की चादर ओढ़ स्वप्न पूरा करना सीख लिया मैंने
कलम को थाम कर हाथ में लिखना सीख लिया मैंने
हंसना और हंसाना भी अब सीख लिया मैंने।
सपने देखना ही नहीं पूरा करना सीख लिया
वसुधाआंगन से निज हाथों नीलगगन को छूना सीख लिया।
-सीमा गुप्ता