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19 Mar 2022 · 1 min read

सीख गए हैं

उनवान( शीर्षक )- ” सीख गए हैं ” 】

उदास रहकर मुस्कुराना सीख गए हैं ।
ग़मों को अपने छुपाना सीख गए हैं ।।

मुहब्बत में निभायी थी …वफ़ा जिनसे ।
उनकी बेवफ़ाई भूलाना सीख गए हैं ।।

आदत हो गई है चोट खाने की हमको ।
ज़ख़्म अपने दिखाना ….सीख गए हैं ।।

बार बार रूठने की… ज़िद है जिनको ।
अब उनको मनाना …….सीख गए हैं ।।

वो कहते थे….. एक दूजे के हैं हम ।
हक़ हम भी जताना ……सीख गए हैं ।।

ख़ूब रोये थे हिज्र में तड़पकर “काज़ी “।
मगर जग को हंसाना…. सीख गए हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम

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