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17 Mar 2020 · 1 min read

सिनेमा का बदलता दौर

सिनेमा का बदलता दौर
पहले चरण में फिल्मों ने, हरिश्चंद्र दिखलाया था
सत्य, धर्म और निष्ठा का, सबको पाठ पढ़ाया था ।
देख सिनेमा लोगों ने, आत्मविश्वास जगाया था
जान जाए पर वचन न जाए, निश्चय यही बनाया था ।।

दूजे चरण में फिल्मों ने, महाकाव्य समस्त दिखाया था
धरती की पीड़ा हरने, नारायण धरा पर आया था ।
कर्म से बढ़कर नहीं कोई दूजा, ज्ञान यही सिखलाया था
देख सिनेमा हर मानव, फूला नही समाया था ।।

तीसरे दौर नें वीरों की, गाथा को खूब दिखाया था
जिन वीरों ने देश की खातिर, अपना शीश चढ़ाया था ।
देशप्रेम और राष्ट्र भक्ति का, इसने पाठ पढ़ाया था
ध्वज तिरंगा भारत माँ का, घर- घर में लहराया था।।

चौथे दौर में प्यार-प्रेम का, परचम खूब लहराया था
अपनों से बागी हो प्रेमी, प्यार भूल नहीं पाया था ।
लैला-मजनू का प्रसंग, सबके मन को भाया था
प्रेम की खातिर प्रेमी भी, दिलवाला कहलाया था

वर्तमान में आज सिनेमा, निम्न स्तर पर आया है
कॉमेडी के नाम पर इसमें, अश्लीलता ही छाया है।
तुच्छ संवादों से इसने, चिंतन माहौल बनाया है ।
संदेशात्मक इसे बनाओ, कवि ने यह समझाया है ।।

Language: Hindi
1 Comment · 293 Views
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