सिखलाता है श्वांस नियंत्रण…..
स्वार्थ-अहं अरु द्वेष भाव को सचमुच प्यारे तोड़े योग,
व्यर्थ भटकते जीवन को है सही दिशा में मोड़े योग।
०००
ध्यान-धारणा आये ख़ुद ही तनिक शान्त होकर बैठें,
दुःख-तनाव पर जैसे ख़ुद ही बरसाता है कोड़े योग।
०००
मन में भरता शान्ति भावना और भरे उर में संतोष,
हर इक दिशा में सिर्फ़ जीत के दौड़ाता है घोड़े योग।
०००
सिखलाता है श्वांस नियंत्रण कहते ऋषि-मुनि प्राणायाम,
इसीलिये ले श्वांस ह्रदय में सहज भाव से छोड़े योग।
०००
‘सरस’ पुष्ट हों मांसपेशियाँ और पुष्ट हो पाचन तंत्र,
ऐसा लगता स्वतः ईश से हम-सबको है जोड़े योग।
*सतीश तिवारी ‘सरस’,मोहद (करेली)