सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु बाबा नानक देव
#सिक्ख धर्म के प्रथम/आदि गुरु बाबा नानक देव
जय गुरु नानक देव की, बाबा संत सुजान।
आदि सिक्ख गुरु बन किये, जग में कर्म महान।।
चौदह सौ उनहत्तर सन में।
कार्तिक पूर्णिम पावन दिन में।।
जन्म हुआ बाबा नानक का।
ज्यों चाँद खिला नीलगगन का।।
कालूचंद पिता के प्यारे।
तृप्ता देवी मात दुलारे।।
रावी नदी किनारे प्यारा।
तलवण्डी है ग्राम तुम्हारा।।
खत्रीकुल की शोभा बनके।
कर्म किये मनहर नित तनके।।
धर्मसुधारक योगी साधक।
देशभक्त कवि बाबा नानक।।
दार्शनिक वचन जनहितकारी।
निर्गुण बह्मा नीति तुम्हारी।।
तलवण्डी से बन ननकाना।
ग्राम तुम्हीं से जाता जाना।।
प्रखर-बुद्धि थी बालकपन से।
दिव्य ज्योति उर में बचपन से।।
बहन नानकी श्रद्धा जानी।
भैया को हित ज्ञानी मानी।।
सर्प तुम्हारी छाया करता।
राय बुलार में भक्ति भरता।।
नमन करे जो नानक बोले।
बाबा उसका चित उर खोले।।
सुलक्खनी देवी घर-आँगन।
जीवनसाथी आयी थी बन।।
श्रीचन्द पुत्र बड़ा तुम्हारा।
लखमीदास नेक उजियारा।।
पंद्रह सौ उनताली आया।
परलोक गमन मन को भाया।।
वचन तुम्हारे जो अपनाता।
जीवन में सब ख़ुशियाँ पाता।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना