सावन की फुहार
सावन की फुहार
की बूंदें अपने अन्दर
शितलता का भण्डार लिए
सभी जीव जन्तु के
कल्याण हेतु
लेकर उतर गई है
सभी कलियाँ खिल गई है
आपस में झूम रही है
मैदान में पड़े
सूखे घास के चेहरे पर
मुस्कान भरे भाव
दिखाई पड़ रहे हैं।
चारो तरफ हरियाली
छा गई है।
फूलों की सुगंध
चारों तरफ फैल गई हैं
सभी को ठन्डेपन का
एहसास हो रहा है
बारिश की बूंदें
जब सर से टपक कर
बालों के सहारे
तन-मन को भिगोतीं है
एक अजीब सिहरन पैदा
कर जाती है
यह सावन की फुहार!!!!!
©️ रमेश कुमार सिंह रुद्र®️