Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2022 · 1 min read

तुम हो तो….

प्रत्यक्ष न देखूं तो हसर क्या?
भले फलसफे का एहसास है,
होना क्या है,ना होना क्या है?
तटस्थ होकर भी बेकार है।

तुम नही तो फीका इंद्रधनुष भी,
तुम हो तो मयस्सर है रंग तमाम,
तुम हो तो बोलती है आंखे भी
तुम नही तो जुबां भी परेशान।

तुम हो तो वीरान में भी बसंत
तुम नही तो फीका सा है सावन,
तुम हो तो संगीत है निर्जन में
तुम नही तो मौन वीणा पावन।

तुम हो तो सब है हर कहीं
बहुत कुछ नहीं है तुम बिन,
तुम हो तो महज चौबीस घंटे
तुम्हारे बगैर पूरा… एक दिन।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

47 Likes · 4 Comments · 320 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खूबसूरत है किसी की कहानी का मुख्य किरदार होना
खूबसूरत है किसी की कहानी का मुख्य किरदार होना
पूर्वार्थ
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
मेखला धार
मेखला धार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
2503.पूर्णिका
2503.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
Khaimsingh Saini
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
गिरगिट
गिरगिट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
देश भक्ति
देश भक्ति
Sidhartha Mishra
हमने सबको अपनाया
हमने सबको अपनाया
Vandna thakur
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
दोहा- दिशा
दोहा- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ Rãthí
कागजी फूलों से
कागजी फूलों से
Satish Srijan
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
बिटिया  घर  की  ससुराल  चली, मन  में सब संशय पाल रहे।
बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
आप दिलकश जो है
आप दिलकश जो है
gurudeenverma198
"यादों के झरोखे से"..
पंकज कुमार कर्ण
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
याद रहे कि
याद रहे कि
*Author प्रणय प्रभात*
(19)
(19)
Dr fauzia Naseem shad
अरमान
अरमान
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
किस कदर है व्याकुल
किस कदर है व्याकुल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*मुर्गा (बाल कविता)*
*मुर्गा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
Vishvendra arya
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...