सार्थक जीवन – मंत्र
दिवास्वप्न तंन्द्रा तिमिर से
नवप्रकाश में पदार्पण किया ,
भ्रान्तियों के छद्मजाल से
अलग हो सत्य संज्ञान लिया ,
आधारहीन कुतर्क से
विलग हो प्रज्ञाशील तर्क मान्य किया ,
त्याग अहं, नवज्ञान स्पंदित
आत्म-बोध जागृत किया ,
काल्पनिक शिखर से अवरोहित हो
यथार्थ धरातल स्पर्श किया ,
स्वार्थ तुष्टि स्थान पर
आत्म – संतुष्टि को महत्व दिया ,
व्यर्थ सांसारिक प्रपंच परे ,
सार्थक जीवन – मंत्र आत्मसात किया ।