है नहीं रुपयों के आगे प्यार का अब मोल
है नहीं रुपयों के आगे प्यार का अब मोल
पड़ गए हैं आज रिश्तों में अनेकों झोल
काम कर दिन रात अपने खो रहा ये होश
अब युवाओं में नहीं दिखता पुराना जोश
फोन कंप्यूटर बना इनका अलग संसार
कल्पना के दोस्त सारे कल्पना का प्यार
बात में भी अब कहाँ मिलते मधुर वो बोल
है नहीं रुपयों के आगे प्यार का अब मोल
अब पुराने से नहीं है तीज औ त्यौहार
औपचारिकता लिए हैं आपसी व्यवहार
नौकरों पर आज निर्भर हो रहे परिवार
लुप्त होते जा रहें हैं इसलिए संस्कार
बस दिखावे के यहाँ पर बज रहे अब ढोल
है नहीं रुपयों के आगे प्यार का अब मोल
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद