साथ साथ ही..
शीर्षक:साथ साथ ही…
आओ सर्दी की ये सुबह ,
जी भर के जी लें साथ साथ
आ दोस्त एक कप चाय ,
बैठ साथ-साथ ही पी ले।
साथ साथ ही…
मिल-बैठ सुनें, सुनाए दोनो हम ,
मन के भाव मौसम की आहट से
ठण्डे जो पड़ गए रिश्ते पर करे वार्ता
भर दें गरमाहट पुनः रिश्तों में अपने।
साथ साथ ही…
मौका है चलो दें निकाल ले मन की
कटुता की कीलें उखाड़ फेके अभी
आ दोस्त एक कप चाय ,
बैठ साथ-साथ ही पी लें।
साथ साथ ही…
जितने भी हैं शिकवे-गिले हैं हमारे,
बिसरायें सारे पुनः जिये
रात के आँचल से मिलकर हम
टाँक दें सितारे से जीवन मे।
साथ साथ ही…
गहरा न जाये अन्धकार हमारे रिश्ते में
जला दें पुराने गिले शिकवे
आ दोस्त एक कप चाय ,
बैठ साथ-साथ ही पी लें।
साथ साथ ही…