साजन आने वाले हैं
कन्धे पर हथियार लिये
डट दुश्मन को ललकारे है।
प्रहरी बन तैनात बलमजी,
सरहद के रखवाले है ।
मैं घर, पिया सीमा पे जागे,
सुना कोना कोना है ।
जाने कब वो घर आयेगें,
रात-दिवस यही रोना है ।
सास ससुर नन्द देवर जेठा,
सबकी सेवा करना है।
सब अपने में मस्त है रहते,
मुझको घुट घुट मरना है।
मेरे दुख को कोई न देखे,
दिल पर पड़ गये छाले है।
आध वर्ष हुये पिया न आये,
आंखे आशा पालें हैं।
ऐ कोयल कोई गीत सुना दो,
कलियों तुम मुस्का दो।
कारे बदरा रिम झिम बरसो,
राह की धूल मिटा दो ।
मन मयूर मेरा खुशी में झूमे,
बिन सावन झूला डाले हैं।
सूंदर खबर मिली है कल ही,
मेरे साजन आने वाले है ।
-सतीश सृजन, लखनऊ.