सागर की ओर
सफीना ले कर सागर की ओर जा रहा हूं
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
तेज बहुत तेज है सागर की ये हवाऐ
हो कर मस्त मलंग मैं इन के पास जा रहा हूं
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
जमाने के हिसाब ने
बहुत हिसाब- किताब बिगाड़ा है
मैं अब अपने दिल की सुनने जा रहा हूं
तौर तरीके सब रखो अपने पास
मैं नियमो को तोड़ने जा रहा हूं
बन्द है कई सालों से दिल की आवाज
मैं अब उसको सुनने जा रहा हूं
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)