Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Apr 2018 · 3 min read

साक्षात्कार- डॉ. रीता सिंह- लेखिका, अंतर्वेदना (काव्य संग्रह)

डॉ. रीता सिंह जी की पुस्तक “अंतर्वेदना (काव्य संग्रह)” हाल ही में साहित्यपीडिया पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित हुई है| यह पुस्तक विश्व भर के ई-स्टोर्स पर उपलब्ध है| आप उसे यहाँ दिए गए लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं- Click here

1) आपका परिचय?

मैं डॉ रीता सिंह, राजनीति विज्ञान विषय की शिक्षिका हूँ। वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हूँ।

2)आपको लेखन की प्रेरणा कब और कहाँ से मिली? आप कब से लेखन कार्य में संलग्न हैं?

बचपन से ही विभिन्न पुस्तकों व समाचार पत्रों को पढ़ने के शौक ने अपने परिवेश की सामाजिक – राजनीतिक विसंगतियों से उत्पन्न अनुभूतियों ने कब लिखित अभिव्यक्ति का रूप ले लिया पता ही नहीं चला।
लेखन की परम्परा ही साहित्य को सनातन व जीवंत बनाये रख सकती है । इस स्वस्थ परम्परा से जुड़ने का विचार मुझे लिखने के लिये प्रेरित करता है।

3) आप अपने लेखन की विधा के बारे में कुछ बतायें?

मेरे मन से निकले उद्गार जिस रूप में भी मेरी कलम लिख देती है मैं उसे ही अपनी कविता या रचना मान लेती हूँ । वह गीत, गीतिका, दोहा, मुक्तक या छंदमुक्त, आलेख आदि कोई भी विधा हो सकती है।

4) आपको कैसा साहित्य पढ़ने का शौक है? कौन से लेखक और किताबें आपको विशेष पसंद हैं?

मुझे हिन्दी का काव्य व गद्य साहित्य पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। आदि काल से आधुनिक काल तक के किसी भी कवि या लेखक की कोई भी कृति मुझे प्रभावित कर सकती है। चाहे वह जायसी का पद्मावत हो या कबीर, सूर, तुलसी, मीरा की भक्तिभाव भरी कालजयी कृतियाँ हों या छायावादी -प्रसाद – पंत – निराला – महादेवी की अमर रचनाएँ । प्रगतिवादी हों या अाधुनिक प्रयोगवादी मुझे सभी को पढने में आनंद आता है। विशेषतः जीवन दर्शन, देशभक्ति, सामाजिक समस्या प्रधान रचनाएँ पढ़ना पसंद करती हूँ।

5) आपकी कितनी किताबें आ चुकी है?

‘अन्तर्वेदना’ मेरा प्रथम काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त विभिन्न, साझा काव्य संकलनों, समाचार पत्र – पत्रिकाओं आदि में मेरी काव्य रचनायें, आलेख व शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

6) प्रस्तुत पुस्तक के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी?

प्रस्तुत संग्रह ‘अन्तर्वेदना’ सामाजिक राजनीतिक विसंगतियों से उत्पन्न समाज के विभिन्न वर्गों में अन्तर् निहित वेदना की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।

7) ये कहा जा रहा है कि आजकल साहित्य का स्तर गिरता जा रहा है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

साहित्य का स्तर गिर नही रहा है, बल्कि आवश्यकता इस बात की है कि स्तरीय साहित्य को किस प्रकार जन सामान्य के लिए रोचकता के साथ उपलब्ध कराया जाय, जिससे आज का पाठक उस साहित्य को जिज्ञासा वश पढ़े।
आजकल ऐसे साहित्यकारों की अधिक संख्या हो गयी है जो जन साधारण की रुचि के समक्ष अपनी मौलिकता व उत्कृष्टता से समझौता कर लेते हैं, जिस कारण साहित्य के स्तर में कमी आने की आशंका उत्पन्न हुई है।

8) साहित्य के क्षेत्र में मीडिया और इंटरनेट की भूमिका आप कैसी मानती हैं?

वर्तमान में मीडिया और इंटरनेट की भूमिका साहित्य के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है। मीडिया व इंटरनेट के माध्यम से अनेक छिपी प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिला है। इस माध्यम से विचार संप्रेषण आसान हुआ है।

9) हिंदी भाषा मे अन्य भाषाओं के शब्दों के प्रयोग को आप उचित मानती हैं या अनुचित?

अन्य भाषाओं के ऐसे अनेक शब्द हैं जो हिन्दी भाषा में घुल मिल गये हैं। इसलिये उनका प्रयोग स्वाभाविक है और इसे उचित ही कहा जा सकता है।

10) आजकल नए लेखकों की संख्या में अतिशय बढ़ोतरी हो रही है। आप उनके बारे में क्या कहना चाहेंगी?

यह तो खुशी की बात है, लेकिन उनके मार्गदर्शन के लिये अनुभवी लेखकों को आगे आना चाहिये। जिससे अच्छा साहित्य निरंतर व जीवंत बना रहे।

11) अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

पाठको से निवेदन करूँगी कि मेरे जैसी मामूली सी रचनाकार की पुस्तक के रूप में प्रथम अभिव्यक्ति को पढ़कर अपनी सार्थक प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएं, जिससे भविष्य की मेरी रचनायें परिष्कृत होकर उत्कृष्ट रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत हो सके।

12) साहित्यपीडिया पब्लिशिंग से पुस्तक प्रकाशित करवाने का अनुभव कैसा रहा? आप अन्य लेखकों से इस संदर्भ में क्या कहना चाहेंगी?

बहुत अच्छा पब्लिकेशन है। आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर सफलता पूर्वक पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। प्रकाशन के अच्छे भविष्य के लिये मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।

 

Category: Author Interview
Language: Hindi
Tag: लेख
6 Likes · 1 Comment · 609 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"अवसाद का रंग"
Dr. Kishan tandon kranti
इज़हार ए मोहब्बत
इज़हार ए मोहब्बत
Surinder blackpen
💐अज्ञात के प्रति-147💐
💐अज्ञात के प्रति-147💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बुरा न मानो होली है (हास्य व्यंग्य)
बुरा न मानो होली है (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
Manisha Manjari
ऐसे भी मंत्री
ऐसे भी मंत्री
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन का हर एक खट्टा मीठा अनुभव एक नई उपयोगी सीख देता है।इसील
जीवन का हर एक खट्टा मीठा अनुभव एक नई उपयोगी सीख देता है।इसील
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दिल जल रहा है
दिल जल रहा है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
आर.एस. 'प्रीतम'
जीवन चक्र
जीवन चक्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*......कब तक..... **
*......कब तक..... **
Naushaba Suriya
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
Sangeeta Beniwal
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
Phool gufran
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
Vishal babu (vishu)
सलाह
सलाह
श्याम सिंह बिष्ट
जिंदगी मुझसे हिसाब मांगती है ,
जिंदगी मुझसे हिसाब मांगती है ,
Shyam Sundar Subramanian
पन्नें
पन्नें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
Anil Mishra Prahari
#परिहास
#परिहास
*Author प्रणय प्रभात*
कृष्ण की फितरत राधा की विरह
कृष्ण की फितरत राधा की विरह
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...