कविता : सही फ़ैसला
जन्म दिया अरु पालन पोषण।
उसी पिता-माता का शोषण।।
देख चैन भी आपा खोए।
हृदय ख़ून के आँसू रोए।।
पीर छिपाकर अपनी हँसना।
मार गिराई मानो रसना।।
पल-पल बढ़ते बेटी बेटा।
देख हृदय मन कभी न लेटा।।
जीवन भर जो हुई कमाई।
बेटी-बेटा हेतु लुटाई।।
कर्ज़ लिया पर फ़र्ज़ न हारा।
संतान लिए सबकुछ वारा।।
संतान वही नाज़ दिखाती।
वृद्धाआश्रम दर्श कराती।।
पुण्य कर्म भी चीख रहे हैं।
माँग ख़ून से भीख रहे हैं।।
दिया कभी था छीना जाए।
संतान देखकर समझ बढ़ाए।।
न्याय मिले यह न्यायालय का।
चैन मिले सब निज आलय का।।
माँ-बापू की सेवा करना।
भूल कभी भी दूर न रखना।।
संतोष तभी हो जीवन में।
वरना दुख हों घर-आँगन में।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना