Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

सहज – असहज

सहज ही मिल जाती हैं जब खुशियाँ,
उनकी कद्र ही गंवा देते हैं कुछ लोग,
सहज ही खर्च कर देते हैंसब खुशियाँ,
असहज हो जाते हैं ज़िन्दगी में लोग।

ठोकरें खाने के सिवा चारा नहीं रहता,
उधार ही लेनी पड़ती हैं कुछ खुशियाँ,
जीने के लिए कुछ भी बचा नहीं रहता,
बस बचती हैं कुछ उधार की खुशियाँ।

उधार ज़िन्दगी की आस बन जाता है,
ज़िन्दगी पे तो उपकार कर ही जाता है,
इक पल की ही खुशी चाहे दे जाता है,
हर उधार पे मौत की सौगात दे जाता है।

सहज ही मिल जाती हैं जब खुशियाँ,
उनकी कद्र ही गंवा देते हैं कुछ लोग,
सहज ही खर्च कर देते हैं सब खुशियाँ,
असहज हो जाते हैं ज़िन्दगी में लोग।

1 Like · 36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्या मिला है मुझको, अहम जो मैंने किया
क्या मिला है मुझको, अहम जो मैंने किया
gurudeenverma198
उपहास ~लघु कथा
उपहास ~लघु कथा
Niharika Verma
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
शिव प्रताप लोधी
वर्षा रानी⛈️
वर्षा रानी⛈️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
कुछ लोग कहते हैं कि मुहब्बत बस एक तरफ़ से होती है,
कुछ लोग कहते हैं कि मुहब्बत बस एक तरफ़ से होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
Ranjeet kumar patre
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
Rj Anand Prajapati
नर नारी
नर नारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
किसी से अपनी बांग लगवानी हो,
किसी से अपनी बांग लगवानी हो,
Umender kumar
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुस्कुराना चाहता हूं।
मुस्कुराना चाहता हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
कवि दीपक बवेजा
हद
हद
Ajay Mishra
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
manjula chauhan
"रुपया"
Dr. Kishan tandon kranti
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
मैं
मैं "लूनी" नही जो "रवि" का ताप न सह पाऊं
ruby kumari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
3455🌷 *पूर्णिका* 🌷
3455🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
..
..
*प्रणय प्रभात*
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दूर की कौड़ी ~
दूर की कौड़ी ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
लोग जाने किधर गये
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दुआ नहीं मांगता के दोस्त जिंदगी में अनेक हो
दुआ नहीं मांगता के दोस्त जिंदगी में अनेक हो
Sonu sugandh
सेंगोल और संसद
सेंगोल और संसद
Damini Narayan Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...