सर्वोपरि है राष्ट्र
सर्वोपरि है राष्ट्र
स्वाधीनता दिवस स्मरण कराता असंख्य वीरों का बलिदान,
धर्म और जाति से ऊपर उठ कर जो हो गये देश हेतु कुर्बान।
समझना होगा कि सब धर्मों में सर्वोपरि है राष्ट्रीयता का धर्म,
जो करें राष्ट्र को सशक्त, हम सदा करते रहें ऐसे कर्म।
राष्ट्र के बल को बढ़ाती है हमारी एकता,
इसलिये समाहित हो एकता में अनेकता।
निरपेक्षता उचित अथवा अनुचित हो सकती है समय के अनुसार,
पर अति आवश्यक है इसे तजना अगर हो राष्ट्र के अस्तित्व पर वार।
विश्व विदित है भारतवर्ष का ह्रदय है अति उदार और विशाल,
जिसने माँगा उसे देश में दे दिया आश्रय और रक्खा खुशहाल।
आज आवश्यक है की हम रहें सुरक्षा के प्रति अति सावधान,
केवल सुपात्र को दें शरण-दान, देते हैं शास्त्र हमें ऐसा ज्ञान।
हो सकता है कुपात्र के कारण भविष्य ऐसा दृशय दिखाये,
कि आज का याचक दाता और दाता याचक नज़र आये।
आओ देश सम्मुख समस्याओं से आज़ादी के संघर्ष को सशक्त बनायें,
सबसे बड़ी समस्या तेज़ी से बढ़ती आबादी पर तुरंत अंकुश लगायें।
डॉ हरविंदर सिंह बक्शी
13 -8 -20 23