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24 Jan 2024 · 1 min read

सर्दी

क्षितिज के छोर से
रजत चुनर ओढ़
नव वधु-सी
आहिस्ते-आहिस्ते
पग बढ़ाती
आ ही गई
सर्दी।
शीत-बयार
शस्त्र लिए,
सप्त अश्वों पर
आरूढ होकर,
वीरांगना-सी
समर भूमि में
कूद पड़ी है।
जाड़े का विकराल रूप,
सबको
त्रसित करता है,
रजाई,
शाल,
दुशाले में
दुबकाता है,
भीरू बनाता है।
अलाव
और
हीटर का ताप
एकमात्र
रक्षक बने हैं
जो डटे हैं
तटस्थ
और
लोहा ले रहे हैं
क्रूर
ठंड से।

Language: Hindi
61 Views

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