सर्दी रानी
ओ सर्दी रानी ! कब आएगी तू?,
इस उमस और गर्मी से कब राहत दिलवाएगी तू?
चर्म रोग और घबराहट छीन चुकी है करार ,
बोल इस पसीने से कब राहत दिलवाएगी तू ?
कोई काम करने का मन नहीं करता,
हर का बोझ लगता है ।
आलम यह है की जिंदगी ही बोझ लगने लगी,
और कितना अपने इंतजार में तड़पाएगी तू?
ओ पारी सर्दी रानी ! कब आएगी तू ?