Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2022 · 1 min read

सर्जन और संहार चले हैं साथ साथ……

सर्जन और संहार चले हैं साथ साथ
हैं बड़ी ही जटिल बात
पर.. येतो हैं सच्चाई…!
बड़ा जीव खाता छोटे जीव को,
ऐसे ही होता हैं विसर्जन…!
अगर… न होता ऐसा तो सोचो क्या होता…?
दुःख..दर्द.. पीड़ा.. वेदना.. व्यथा और…
विषमयता जरूर होती हैं… और…
करे हैं हाल बुरा हमारा…!..!
सोचा भी न हो कभी और…
अचानक से बने जो… कोई दुर्घटना…
आश्चर्य और विवशता से भर जाता ह्रदय हमारा..!
पर….फिर भी परिवर्तन
ऐ तो मुख्य उदेश्य हैं सृष्टि का,
उससे ही होता हैं नवसर्जन….!!!!

Language: Hindi
200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
आप
आप
Bodhisatva kastooriya
तनावमुक्त
तनावमुक्त
Kanchan Khanna
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
Subhash Singhai
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
सास खोल देहली फाइल
सास खोल देहली फाइल
नूरफातिमा खातून नूरी
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
sushil sarna
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
खालीपन
खालीपन
MEENU SHARMA
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
"यथार्थ प्रेम"
Dr. Kishan tandon kranti
*नवाब रजा अली खॉं ने श्रीमद्भागवत पुराण की पांडुलिपि से रामप
*नवाब रजा अली खॉं ने श्रीमद्भागवत पुराण की पांडुलिपि से रामप
Ravi Prakash
गर्मी
गर्मी
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
कल आज और कल
कल आज और कल
Omee Bhargava
3075.*पूर्णिका*
3075.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
तुम बहुत प्यारे हो
तुम बहुत प्यारे हो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
यहाँ तो सब के सब
यहाँ तो सब के सब
DrLakshman Jha Parimal
कुंडलिनी छंद ( विश्व पुस्तक दिवस)
कुंडलिनी छंद ( विश्व पुस्तक दिवस)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
Sakhawat Jisan
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
Vivek Pandey
#सामयिक_गीत :-
#सामयिक_गीत :-
*प्रणय प्रभात*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किताब
किताब
Lalit Singh thakur
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
sudhir kumar
नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
Loading...