सरहदी कुत्ते
तुम अपनी गली के कुत्ते हो,
हम अपनी गली के कुत्ते हैं l
तुम अपनी टशन में जीते हो,
हम अपनी टशन में जीते हैं l
हंगामा बस एक हड्डी का है,
तुम भी लपके, हम भी झपटे l
वो देखो कुछ गीदड़ आये,
अब आँख गड़ाए बैठेंगे l
तुम काटोगे, हम चीरेंगे,
नफरत के दांत गाड़ेंगे l
लथपथ हो इस भूमि पर,
जब भी हम गिर जायेंगे l
तब दबे पाव, दांत निपोरे,
ये मतलबी गीदड़ आएंगे l
उस टुकड़े के साथ साथ,
हमारी हड्डियां भी चबा जायेंगे l
हम जानते हैं,
तुम सब जानते हो l
इसलिए तो अंधेरों में,
तुम भी रातों को रोते हो l
पर क्या करे,
तुम अपनी गली के कुत्ते हो,
हम अपनी गली के कुत्ते हैं l
तुम अपनी टशन में जीते हो,
हम अपनी टशन में जीते हैं l