सरस्वती वंदना
ओ….. कंठ पे आजा माँ शारदे
वंदना तेरी गाऊँ…
तुझे नित नित शीश नवा कर
हो ओ…..
… कंठ पे आजा माँ शारदे
वीणा में तू है, वादन में तू है
तू ही तो माँ हर गायन मे तू है
दे दे ओ मुझे ज्ञान का सागर
पूजा करु मैं रात और दिन में
वंदना तरी गाऊँ….
गीता में तू है, वेदों में तू है
तू ही तो माँ रामायण में तू है
ओ….. कंठ पे आजा माँ शारदे
वंदना तेरी गाऊँ…
तुझे नित नित शीश नवा कर
हो ओ…..
… कंठ पे आजा माँ शारदे