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3 Jul 2024 · 5 min read

सरल भाषा में ग़ज़लें लिखना सीखे- राना लिधौरी

आलेख- ग़ज़ल लिखना कैसे सीखे –

-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

ग़ज़ल सीखने के लिए जरूरी है कि आपको
1-मात्रा लघु गुरु ज्ञान हो।
2-रुक्न (अरकान) की जानकारी हो।
3-बहरों का ज्ञान हो।
4-काफ़िया का ज्ञान हो।
5-रदीफ का ज्ञान हो।
6-शेर और उसका मफ़हूम (कथन)।
एवं ग़ज़ल की जबान की समझ हो।
7-शब्द भंडार हो।

१- मात्रा ज्ञान-
क) जिस अक्षर पर कोई मात्रा नहीं लगी है या जिस पर छोटी मात्रा लगी हो या अनुस्वार (ँ) लगा हो सभी की एक (१) मात्रा
गिनी जाती है.

ख) जिस अक्षर पर कोई बड़ी मात्रा लगी हो या जिस पर अनुस्वार (ं) लगा हो या जिसके बाद क़ोई आधा अक्षर हो सभी की दो (२) मात्रा
गिनी जाती है।

ग) आधाअक्षर की एक मात्रा उसके पूर्व के अक्षर की एकमात्रा में जुड़कर उसे दो मात्रा का बना देती है।

घ) कभी-कभी आधा अक्षर के पूर्व का अक्षर अगर दो मात्रा वाला पहले ही है तो फिर आधा अक्षर की भी एक मात्रा अलग से गिनते हैं. जैसे-रास्ता २ १ २ वास्ता २ १ २ उच्चारण के अनुसार।
ज्यादातर आधा अक्षर के पूर्व अगर द्विमात्रिक है तो अर्द्धाक्षर को छोड़ देते हैं उसकी मात्रा नहीं गिनते. किन्तु अगर पूर्व का अक्षर एक मात्रिक है तो उसे दो मात्रा गिनते हैं. विशेष शब्दों के अलावा जैसे इन्हें,उन्हें,तुम्हारा । इनमें इ उ तु की मात्रा एक ही गिनते हैं। आधा अक्षर की कोई मात्रा नहीं गिनते।

च) यदि पहला अक्षर ही आधा अक्षर हो तो उसे छोड़ देते हैं कोई मात्रा नहीं गिनते। जैसे-प्यार,ज्यादा,ख्वाब में प् ज् ख् की कोई मात्रा नहीं गिनते।

कुछ अभ्यास यहाँ दिए जा रहे हैं।

शब्द. उच्चारण. मात्रा (वजन)
कमल. क मल. १२
रामनयन. रा म न यन. २११२
बरहमन. बर ह मन २१२
चेह्रा चेह रा २२
शम्अ. शमा २१
शह्र. शहर. २१
जिन्दगी जिन्दगी २१२
कह्र. कहर. २१
तुम्हारा तुमारा १२२
दोस्त. दोस्त. २१
दोस्ती दो स् ती २१२
नज़ारा नज़्जारा २२२
नज़ारा १२२
नज़ारः १२१

२- रुक्न /अरकान की जानकारी
रुक्न को गण ,टुकड़ा या खण्ड कह सकते हैं।
इसमें लघु (१) और दीर्घ (२) मात्राओं का एक निर्धारित क्रम होता है।
कई रुक्न (अरकान) के मेल से मिसरा/शेर/गज़ल बनती है।।
इन्हीं से बहर का निर्माण होता है।
मुख्यतः अरकान कुल आठ (८) हैं।
नाम वज़न शब्द
१-मफ़ाईलुन. १२२२. सिखाऊँगा
२-फ़ाइलुन. २१२. बानगी
३-फ़ऊलुन. १२२. हमारा
४-फ़ाइलातुन. २१२२. कामकाजी
५-मुतफ़ाइलुन११२१२ बदकिसमती
६-मुस्तफ़इलुन २२१२ आवारगी
७-मफ़ाइलतुन १२११२ जगत जननी
८-मफ़ऊलात ११२२१ यमुनादास

ऐसे शब्दों को आप स्वयं चुन सकते हैं।
इन्हीं अरकान से बहरों का निर्माण होता है।

३-बहर

रुक्न/अरकान /मात्राओं के एक निश्चित क्रम को बहर कहते हैं।
इनके तीन प्रकार हैं-
१-मुफ़रद(मूल) बहरें।
२-मुरक्क़ब (मिश्रित) बहरें।
३-मुजाहिफ़ (मूल रुक्न में जोड़-तोड़ से बनी)बहरें।
बहरों की कुल संख्या अनिश्चित है।

गजल सीखने के लिए बहरों के नाम की भी कोई जरूरत नहीं। केवल मात्रा क्रम जानना आवश्यक है,इसलिए यहाँ प्रचलित ३२ बहरों का मात्राक्रम दिया जा रहा है। जिसपर आप ग़ज़ल कह सकते हैं, समझ सकते हैं।
प्रचलित बहर-
(1)-212-212-212
(2)-122-122-122
(3)-2212-2212
(4)-2212-1212
(5)-2122-2122
(6)-2122-1212-22
(7)-212-212-212-2
(8)-122-122-122-12
18)-2122-1122-22
(9)-2122-2122-212
(10)-122-122-122-122
(11)-2212-2212-2212
(12)-212-212-212-212
(13)-2122-2122-2122
(14)-221-2122-221-2122
(15)-1212-1122-1212-22
(16)-221-2121-1221-212
(17)-11212-11212-11212-11212
(18)-1212-212-122-1212-212-122
(19)-12122-12122-12122-12122
(20)-1222-1222-122
(21)-1222-1222-1222
(22)-2122-2122-2122-212
(23)-2122-1122-1122-22
(24)-1121-2122-1121-2122
(25)-2122-2122-2122-2122
(26)-212-1222-212-1222
(27)-221-1221-1221-122
28)-221-1222-221-1222
(29)-1222-1222-1222-1222
(30)-212-1212-1212-1212
(31)-1212-1212-1212-1212
विशेष नियम :-
जिन बहरों का अन्तिम रुक्न 22 हो उनमें 22 को 112 करने की छूट हासिल है।
नोट- गज़ल कहने के लिए किसी उस्ताद शायर से इस्लाह जरूर करा लेना चाहिए।
ग़ज़ल कहना (लिखना) और पढ़ना दोनों अलग-अलग फन है। तन्नुम से उसका असर बहुत बढ़ जाता है।
***
– राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी,
संपादक’आकांक्षा’पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल-9893520965

आलेख- ग़ज़ल लिखना कैसे सीखे -(भाग-2)

-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आज हम ग़ज़ल में मक्ता, मतला, रदीफ और काफिया के बारे में संक्षिप्त में जानेंगे।
मतला- ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहते है।
मक्ता – ग़ज़ल के सबसे आख़िरी शेर को मक्ता कहते है। अधिकांश शायर मक्ते में अपना उपनाम तखल्लुस लिखते हैं। इसी शेर को जब कोई कव्वाल एवं गायक पढ़ते हो तो सुनने वाले को पता चल जाता है कि ये ग़ज़ल किसने लिखी है।
रदीफ- ग़ज़ल की पहली पंक्ति एवं दूसरी, चौथी, छठवीं, आठवीं, दसवीं, बारहवीं आदि में अंतिम में जो शब्द बार बार उपयोग किया जाता है उसे रदीफ कहते है। जैसे- मेरी ग़ज़ल का ये शेर देखे-
ग़ज़ल-
तुम मुझे याद बहुत आते हो।
आंख से दिल में समा जाते हो।।

हो तुम्हीं मेरी मुहब्बत का फ़ूल।
ज़िन्दगी को तुम्हीं महकाते हो।।

तुम तसब्बुर में मिरे आ आकर।
किसलिए तुम मुझे तड़पाते हो।।

प्यार करते हो मुझे तुम भी मगर।
मुंह से कुछ कहने में शरमाते हो।।

‘राना’ हम तुम को भुलाएं कैसे।
दिल के मंदिर में बसे जाते हो।।
***
गजलगो- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)

1- उपरोक्त ग़ज़ल में निम्नलिखित शेर मतला है-
तुम मुझे याद बहुत आते हो।
आंख से दिल में समा जाते हो।।

2- उपरोक्त ग़ज़ल में ‘निम्नलिखित शेर मक्ता है-
‘राना’ हम तुम को भुलाएं कैसे।
दिल के मंदिर में बसे जाते हो।।

3- उपरोक्त ग़ज़ल में “राना” शायर का तकल्लुस है।देखे आखिरी शेर-
‘राना’ हम तुम को भुलाएं कैसे।
दिल के मंदिर में बसे जाते हो।।

4– उपरोक्त ग़ज़ल में आते,जाते, महकाते, तड़पाते, शरमाते जाते काफिया हैं इसमें ते का काफिया लिया गया है।
5– उपरोक्त ग़ज़ल में “हो” रदीफ है।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
****

आलेख- ग़ज़ल लिखना सीखे -भाग-3

अर्कान (गण):-

उर्दू में अर्कान जिन्हें हिंदी में गण कहते है आठ होते हैं-
इन्ही़ से बहरों ,रूक्न (छंदों)का निर्माण होता है।
1- फ़ऊलुन- 122 – जिसमें पहला लघु वर्ण फिर दो दीर्घ गुरु वर्ण होता है।
2- फ़ाइलुन- 212- जिसमें पहला गुरु वर्ण फिर एक लघु वर्ण फिर एक गुरु वर्ण होता है।
3-मफ़ाईलुन-1222
4- फाइलातुन-2122
5-मुस्तफ़इलुन-2212
6- मुतफ़ाइलुन-11212
7-मफ़ऊलातु-2221
8*मुफ़ाइलतुन-12112

लघु मात्रा वाले वर्ण-
अ,इ,उ,ऋ, यह वर्ण एक स्वरपूर्ण माने जाते है।
दीर्घ (गुरु) 2 मात्रा वाले वर्ण-
आ,ईऊ,ए,ऐ,ओ,औ,अं,अ:, को दो वर्ण का माना जाता है।
आ,ईऊ,ए,ऐ,ओ,औ,अं,अ:, की मात्राओं को एक स्वररहित वर्ण माना जाता है। यह मात्राएं जिस अक्षर में लगी होती हैं उस अक्षर को अपना स्वर देकर स्वयं स्वररहित वर्ण का स्थान प्राप्त कर लेती हैं।
अ,इ,उ,ऋ, की मात्राएं जिस वर्ण के साथ जुड़ी होती हैं उस वर्ण को स्वरपूर्ण बना देती हैं।इसी कारण इन मात्राऔं वाले वर्ण को केवल एक स्वरपूर्ण वर्ण ही गिना जाता है।

गणों के प्रतीक चिन्ह-
पिंगल में लघु के लिए । और गुरु s के लिए का प्रयोग किया जाता है।
ऊर्दू में सबब सक़ील (।।) एवं सबब खफ़ीफ़ (s) कहा जाता है।
हम यहां पर नीचे कुछ उदाहरण दे रहे है ताकि आसानी से समझ में आ जाये-

रुक्न – गण – प्रयोग पिंगल अनुसार- प्रयोग अरूज़ अनुसार- साकिन वर्णों की पहचान

मफ़ाईलुन- यगण+गरु (।sss) यशोदाजी मुहब्बत कर मुहबबत कर्

मफ़ाईलुन- तगण+गरु (ss।s) संजीवनी अपना नगर अपना नगर्

मु-तफ़ाइलुन-सगण+लघु+गुरु कविता कला रुचि पूर्वक रुचि पूरवक

एक उदाहरण देखें-

सितारों की चमक से चोट लगती है रगे जां पर
।s s s । s s s। s s s ।s s s

अब इसी मिसरे को जब चार वार ‘मफ़ाईलुन’ में बांटेंगे तो स्तिथि इस प्रकार होगी-

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
सितारों की चमक से चो ट लगती है रगे जां पर

इस प्रकार से मिसरे में शब्दों का खंडित होना और अक्षरों का आगे पीछे जुड़ जाना स्वाभाविक है।
इसी प्रकार से अनुस्वार अरूज़ के नियम के अनुसार कहीं गिने जाते है तो कहीं पर अल्प मात्रा में गिने जाते है कभी नगण्य भी हो जाते है।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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