समाज……….
अजीब सा दस्तूर है इस समाज का,
लड़को संग घूमने वाली हर लड़की को निर्लज्ज,
और लड़कियों के साथ ऐश करने वाले को हीरो का नाम दिया जाता है,
समलैंगिकता को देखा जाता जहां शान से हया की नज़रों से,
वहीं घर के किसी पुरुष द्वारा घर की बेटी का बलात्कार किया जाता है,
रेड लाइट एरिया में काम कर रही हर लड़की को सेक्स वर्कर,
और वहां जाने वाले हर लडके को शान से मर्द का नाम दिया जाता है,
खुद के ऐश ओ आराम के लिए जो मनोरंजन करता हम सबका,
उसको हीरो और देश पर मर मिटने वाले को फ़र्ज़ का नाम दिया जाता है,
लैला मजनू और हीर रांझा का नाम लेकर जहां प्यार को पाक बताया जाता हैं,
वहीं फौजी के प्यार और उसके अपनों के इंतज़ार पर काला धब्बा लगाया जाता हैं,
अपनी सोच खातिर हर रिश्ते की पवित्रता की नीलामी जहां होती है,
वहीं पर राधा कृष्णा श्रवण और गुरु द्रौण का नाम शान से लिया जाता है,
एक ओर जहां माता पिता को ईश्वर का रूप समझ पूजा जाता है,
वही वृद्धाश्रम में उन्हीं ईश को छोड़ अपने कर्तव्य से भागा जाता है,
सच में इस समाज का हर चेहरा सामने होते हुए भी नजरअंदाज किया जाता है,
क्यूंकि यहां कोई अपनी सच्चाई को मानने के लिए तैयार नहीं होता है