समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
रचनाकार,, डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग छत्तीसगढ़ रायपुर दिनांक 2212/2023
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कोटि-कोटि प्रणाम मेरा, कोटि-कोटि नमन है।
समाज सेवक पुर्वजों को,दिल से मेरा नमन है।।।
श्री विराजी कपिल के याद में, आंसू बह रहा है।
गड़ाई गई संस्कार,अब किस ओर बह रहा है।।
साखा,मुकुन्दी दीनदयाल,देव लोक से कह रहा है।
बचालो,पुर्वज की सम्पत्ति,आज आत्मा रो रहा है।।
श्रद्धेय गणेश घना राम, विजय तारा से कहतेहैं।
कर सेवा समाज की, जिंदगी जल धारा सा
बहते हैं।
रहते हैं शाम केवल,खुन की लाज बचा देना
लग न पाये दाग कहीं,पाई पाई हिसाब बता देना।
न जीवन का ठिकाना,न पद की परवाह कर
जीते जी इस जीवन में, समाज गंगा सेवा कर
हर घड़ी हर छण भागीरथी का याद होता है
श्री पुनाराम तइतऊ के याद में,हृदय खुब रोता है।।
मंथिर धनसिंग सुकालू दादा,एक जन्म के साथी थे।
हृदय हृदय थे इनके, बहुत सारे आंखी थे।।
गजानन दया श्यामा भी ,एक परिपाटी थे
समाज सेवक सज्जनों में,ये लोग भी नामी थे
तुका किरात बनवाली मेहत्तर त्रय,देव लोक में चंगा है।
जाति स्वाभिमान था इनके मन में, समाज रूपी गंगा है।।
दान दाता माताएं , भुलाएं भी नहीं भुलाती है
हिरौदी दुकाला सुखिन बाई,नजरों में झुलती है।
आज भी वही धरती वहीं पवन वहीं गगन है
मेरे इन समाज सेवक पुर्वजों को बार-बार
नमन है
ग्यारह वर्षों तक अध्यक्ष रहा श्री गनपत राम
मालीडीह का मुल निवासी,रहा सदैव बेदाग