Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2022 · 2 min read

*समय यात्रा (लघुविज्ञानकथा)*

समय यात्रा (लघुविज्ञानकथा)
—————————–
कॉलोनी में करीब अस्सी घर थे । तीन सौ – चार सौ की आबादी थी । एकाएक सबको लगा मानो वह गहरी नींद से जागे हों। सोचने लगे ,अरे यह क्या हुआ ! ध्यान आया कि लॉकडाउन चल रहा है । घर से बाहर नहीं निकलना है । सबने खिड़की से झाँका । देखा गाड़ियाँ दौड़ रही हैं । लोगों की भीड़ सड़कों पर चल रही हैं । सब आश्चर्यचकित रह गए । टीवी खोला तो लिखकर जनवरी 2021 आ रहा था । किसी की समझ में कुछ नहीं आया । सब अपने-अपने घरों से बाहर कॉलोनी के पार्क में इकट्ठा होने लगे ।
तभी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अग्रवाल मुस्कुराते हुए आए और बोले “कैसा अनुभव हो रहा है ?”
सब समझ गए कि यह वैज्ञानिक महोदय की ही कोई माया है ।डॉ. अग्रवाल ने बताया “मैं अपने शोध के आधार पर आप सबको लंबी समय – यात्रा पर ले गया था और अब जब देश से कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी तरह मिट चुका है, मैं आपको पुनः आपकी कॉलोनी में वापस ले आया।”
सब ने आश्चर्य से पूछा “यह कैसे संभव है ?”
डॉ अग्रवाल ने कहा “विज्ञान सम्मत समय यात्रा से सब कुछ संभव है। बस इस बात का अफसोस है कि अभी समय- यात्रा का दायरा मैं बढ़ा नहीं सकता था। केवल अपनी कॉलोनी की ही सेवा कर सका।” आँखों में आँसू लिए हुए डॉ अग्रवाल ने कहा “कोशिश करूँगा कि आगे जब भी कोई महामारी आए तो मैं सारा देश ही नहीं बल्कि सारी दुनिया को अपनी वैज्ञानिक शक्ति से समय यात्रा पर ले जा सकूँ।”
———————————————
लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
185 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
sushil sarna
तेरे प्यार के राहों के पथ में
तेरे प्यार के राहों के पथ में
singh kunwar sarvendra vikram
बोलो हां कर दोगी ना
बोलो हां कर दोगी ना
Anant Yadav
"गंगा माँ बड़ी पावनी"
Ekta chitrangini
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
हम चले थे पथिक बनकर,सैर करने दुनिया की l
हम चले थे पथिक बनकर,सैर करने दुनिया की l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
कड़वा सच
कड़वा सच
Sanjeev Kumar mishra
4803.*पूर्णिका*
4803.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
‘तेवरी’ ग़ज़ल का एक उग्रवादी रूप
‘तेवरी’ ग़ज़ल का एक उग्रवादी रूप
कवि रमेशराज
#उचित समय आने पर !
#उचित समय आने पर !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
Sonam Puneet Dubey
# कुछ देर तो ठहर जाओ
# कुछ देर तो ठहर जाओ
Koमल कुmari
लघुकथा - घर का उजाला
लघुकथा - घर का उजाला
अशोक कुमार ढोरिया
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
Harminder Kaur
*समीक्षा*
*समीक्षा*
Ravi Prakash
हक़ीक़त है
हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
Shankar Dwivedi's Poems
Shankar Dwivedi's Poems
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
संगिनी भी साथ रहे
संगिनी भी साथ रहे
आकाश महेशपुरी
कोमलता
कोमलता
Rambali Mishra
फूल तो फूल होते हैं
फूल तो फूल होते हैं
Neeraj Agarwal
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
दिया पिटारा खोल
दिया पिटारा खोल
RAMESH SHARMA
खुद पर यकीन,
खुद पर यकीन,
manjula chauhan
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
"शाही व्यंजन"
Dr. Kishan tandon kranti
*इस कदर छाये जहन मे नींद आती ही नहीं*
*इस कदर छाये जहन मे नींद आती ही नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Ek gali sajaye baithe hai,
Ek gali sajaye baithe hai,
Sakshi Tripathi
Loading...