समंदर
1-समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
किनारे शीप के मोती हुस्न दौलत कि है हस्ती कभी सबनम के है मोती कही मतलब के है मोती!!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
चाँद है इश्क समन्दर का चंदनी है मोहब्बत जज्बा समन्दर का चाहतो कि गहरायी!!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
कभी अरमानों कि सौगातें कभी जज्बात तन्हायी हर लम्हों की धुन में है, हर धड़कन धुन में है, सागर कि है गहरायी!!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
समन्दर के किनारों में है गज़ब कि कश्मकश मिलने कि चाहत में चलते साथ सदिया भी गुजर जाती वफ़ा की चाहतों में नहीं आते कभी वफ़ा कि चाहतों में साथ साथ !!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
समंदर का मुसाफिर इरादों कि किश्तीयो का मांझी हसरत कि हस्ती कि मस्ती का मतवाला समंदर कि गहराई तूफानों कि हालचल का रखवाला !!
समंदर के किनारे रेत पे बैठे कभी तूफा कभी किनारे को देखते!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर