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6 Mar 2022 · 1 min read

सभी के लिए फ़िज़ूल हो गए है।

यार दोस्त सारे ही हमको भूल गए है।
ताज सभी के लिए फिजूल हो गए है।।1।।

सबने तौबा करके माफ़ी मांग ली थी।
छोड़ गुनाहे ताज सब कबूल हो गए है।।2।।

आना जाना अब मेरा खत्म हो गया है।
यूं ताज कबसे गुलर का फूल हो गए है।।3।।

कभी ताज भी महका करते थे डाल पे।
अब वह चढ़े दरगाह के फूल हो गए है।।4।।

ना जाने कितने कदमों ने कुचला होगा।
ताज अब रास्तों पर पड़ी धूल हो गए है।।5।।

मिलने की खातिर जो तरसते थे हमसे।
ना मिल पाए वह भी मशगूल हो गए है।।6।।

बड़ी काटी है बेदीनी जिंदगी दुनियां में।
हिदायत पाके जो उम्मते रसूल हो गए है।।7।।

कभी महकते थे हम भी उनके दिल में।
आज किताबों में रखें सूखे फूल हो गए है।।8।।

उनकी खातिर हम जिससे कभी लड़े थे।
आज देखा वो उन्हीं के मकबूल हो गए है।।9।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Comments · 182 Views
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