सब बिकाऊ है?
लेखनी का सौदा हो बाज़ार के संग में
तो वक़्त भी लाचार उस लाचार के संग में
क्या जरूरी है भला कोई जरूरत इतनी क़ि
जब शब्दों का व्यापार हो ग़द्दार के संग में
लेखनी का सौदा हो बाज़ार के संग में
तो वक़्त भी लाचार उस लाचार के संग में
क्या जरूरी है भला कोई जरूरत इतनी क़ि
जब शब्दों का व्यापार हो ग़द्दार के संग में