सब बढ़िया
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/890339a5e392f7b386cf54222adaa6ba_0a0f8e24ba3f5407c41fd141e251da85_600.jpg)
माना तेरे हैं दर्द बहुत,
जीवन की खड़ी हैं खटिया।
और कोई पूछे खैर खबर,
तो तू कह देता की भैया “सब बढ़िया ” ।।
कल ही तो धका रहा था अपनी गाडी,
क्यूंकि पंक्चर था पिछला पहिया।
और फ़ोन पर झूठ कहा मुझसे,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
कितनी भी हो,
दर्द भरी ये शनि की ढैय्या।
बिना शिकन के ऑफिस में बोले,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
मुस्कान भरे चेहरे पर,
कह जाती ये तेरी अंखिया।
कि झूठ हैं यह बातें ,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
एक दिन पकड़ा उसको मैंने,
बोला की जानु मैं भी की झूठी हैं तेरी बतिया।
रुमाल से आंखे पौंछ ना-ना करते बोला,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
बात उसने समझाई की,
सब लोग दर्द में देख कसते हैं फब्तियां।
इसलिए कह दो हमेशा,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
सकारात्मक कहने से,
दर्द में होती हैं थोड़ी कमियां।
इसलिए कह देता हूँ,
की भैया “सब बढ़िया ” ।।
डॉ. महेश कुमावत