सब कुछ भुला के चला गया
यूँ लगा की सब कुछ
भुला के चला गया।
हँसते हुए चेहरे को
रूला के चला गया।
देख रही थी आँखे उसे
मैने थामी थी उंगलियाँ
अचानक वो हाथ अपना
छुड़ा के चला गया।
ऐसा लगता है जैसे
कुछ हुआ ही नही
पर वक़्त अपना काम
कर करा के चला गया।
ये सोचकर सोया था मैं
कि वो आयेगा ख्वाब में
ख्वाब में आया तो
जगा के चला गया।
जब उनसे पूछा मैनें
तुम बिन जीउंगा कैसे
कागज कलम हाथ में
थमा के चला गया।
स्वतंत्र मन्नू