“सबूत”
“सबूत”
न जाने कब, कहाँ
छूट जाए साथ जिन्दगी का
मेरे अल्फाजों को
समेट कर रख लेना
ऐ दोस्त
यही सबूत होगा मेरे होने का..।
“सबूत”
न जाने कब, कहाँ
छूट जाए साथ जिन्दगी का
मेरे अल्फाजों को
समेट कर रख लेना
ऐ दोस्त
यही सबूत होगा मेरे होने का..।