सफ़र
ज़िंदगी की बिसात में मात खाए,
हमें एक सफ़ेद व लाल हक़िम के सताए l
दिखा के अर्श का ख़्वाब,
फर्श पे पटक दिए
हम है अपने हाथों में छेद छुपाए।
एक निज़ाम जो यहां बसता है,
वो कभी कभी हमपे बरसता है,
पर ज़िंदगी की लहरों में हाथ घुमाए।
हम भी किसी राह की तलाश में यारों,
मंज़िल सबकी तय है
पर किसी की राह में कांटे,
तो कहीं गुलाब है यारों
ख़्वाब की ज्योति को थाम कर
एक समुद्र को पार कर दो यारों l
कुश