सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र थोड़ा और है बांकी
कुछ दूर और चलले साथी
मंज़िल दूर है तो क्या?
रास्ते में कहीं तो मिल जाएगी.
ग़मो से मत होना परेशान
असफ़लताओ से तुम मत घबराना
कोई ताने मीरे मत होना तुम हैरान.
संघर्ष करते रहना जब तक हो जाँ.
मेहनत से ही बदलेगी किस्मत
बस ये सोच मेहनतकशी से चल
लोग यूँ ही तुझपे हँसेंगे
मत घबराना की लोग क्या कहेंगें
होगा एक दिन तू भी कामयाब
तब लोग तुझे भी देखेंगें सुनेंगें
खुदबखुद मिल जाएगा जवाब उन्हें
जो वेबज़ह तुझपे हँसते रहेंगें
दुनियादारी के सफ़र में संघर्ष के काँटे होगें
फिसलेंगें पैर मगर तुम्हें संभलना ही होगा
अपने दम पे संघर्ष करते रहना
क़ामयाबी की मंजिल जरूर मिल जाएगी.
कवि- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)