सफलता का सोपान
एक पग मे नापी धरती
चांद पर पैर जमाया
सुरज भी अब दूर है कितना
मन को हमने समझाया
आसमान को पा लेने की
पड गई हमको आदत
कोई चुनौती बडी नही
अब ऐसी हम मे ताकत
एक ही धरती , एक कुटुंब
भविष्य सबका एक
हर मानव का सरल हो जीवन
भारत का बस यह विवेक
तेज तरक्की करता जाए
यूंही हरपल विज्ञान
खोज करे पर रखे सदा ही
धरती का भी ध्यान
जीवन सबका बडे महत्व का
बना रहे सदा ही हक
इंसा की उंची अभिलाषा से
बिगडे ना प्रकृति का चक्र
ज्ञान रथ की बागडोर को
थामे रहे विवेक
महामारी और महाप्रलय से
बचा रहे हर एक
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर