सफर
((( सफ़र ))))
( १ )
गतिमान है रवि की परिक्रमा,
बुलंद है सहस्त्र नक्षत्रों का सफ़र |
सफ़र में है ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड,
सुदूर है अनंत, अविरल ये सफ़र ||
( २ )
पादप हो या हो जीव-जन्तु,
मृत्यु तलक है जीवन का सफ़र |
आत्मा का सफ़र परमात्मा तक,
अद्भुत, अबाधित है ऐसा सफ़र ||
( ३ )
है लघु सफ़र कहीं दीर्घ सफ़र,
हैं सारे यहाँ सफ़र की गाड़ी में |
दो युगल-प्रेमी भी हैं सवार बैठे,
प्रेम-नैय्या की दौड़ती सवारी में ||
( ४ )
नव शिशु भी है सवार यहाँ,
निज उम्र की भागती सवारी में |
नव युवक भी यात्रा पर यहाँ,
स्व लक्षित सपनों की तैयारी में |
#दिनेश एल० “जैहिंद”
23. 01. 2017