सफर कट जाएग
*******सफर कट जाएग********
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छाया तम का साया मिट ही जाएगा
प्रेमगीत गाएंगे,अंधेरा छंट ही जाएगा
सदा सोचो उजाले की तम निश्चेष्ट हो
उजाले का जो पहरा,दीप जल पाएगा
दुख की घड़ी में अपना साथ ना देता
गैर गर बना अपना,दुख मिट जाएगा
जीवन के दरिया में तो बहुत गहराई है
केवट जो मिला ,साहिल मिल जाएगा
मंजिल दूर है और राहें बहुत कठिन है
हमसफर जो मिला,सफर कट जाएगा
अपनों की बस्ती में,रहता नहीं अपना
हमसाया गर बना,गुजारा चल जाएगा
कागज के फूलों से,खुश्बू नहीं मिलती
कली गर खिली,जीवन महक जाएगा
सुखविंद्र जीता जीवन,भय के साये में
सहवासी गर मिला, भय भाग जाएगा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)