Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2023 · 1 min read

सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।

सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
तनमन की सब थकन हर, गयी कहाँ तू रैन ।।

भोर सुनहरी आ गयी, जाग अरे ! जड़ जीव ।
भेद तमस मन का सकल,रख ओजस की नींव ।।

© सीमा अग्रवाल

Language: Hindi
2 Likes · 370 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
पद्मावती पिक्चर के बहाने
पद्मावती पिक्चर के बहाने
Manju Singh
*बेचारे नेता*
*बेचारे नेता*
गुमनाम 'बाबा'
कहां नाराजगी से डरते हैं।
कहां नाराजगी से डरते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
काबा जाए कि काशी
काबा जाए कि काशी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2519.पूर्णिका
2519.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
स्मृति ओहिना हियमे-- विद्यानन्द सिंह
स्मृति ओहिना हियमे-- विद्यानन्द सिंह
श्रीहर्ष आचार्य
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
गलत रास्ते, गलत रिश्ते, गलत परिस्तिथिया और गलत अनुभव जरूरी ह
गलत रास्ते, गलत रिश्ते, गलत परिस्तिथिया और गलत अनुभव जरूरी ह
पूर्वार्थ
ये घड़ी की टिक-टिक को मामूली ना समझो साहब
ये घड़ी की टिक-टिक को मामूली ना समझो साहब
शेखर सिंह
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ
भांथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / मुसाफ़िर बैठा
भांथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
#परिहास-
#परिहास-
*प्रणय प्रभात*
कहाँ है!
कहाँ है!
Neelam Sharma
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
Jitendra Chhonkar
ग़ज़ल(नाम तेरा रेत पर लिखते लिखाते रह गये)
ग़ज़ल(नाम तेरा रेत पर लिखते लिखाते रह गये)
डॉक्टर रागिनी
आफ़ताब
आफ़ताब
Atul "Krishn"
श्री राम जय राम।
श्री राम जय राम।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मिथक से ए आई तक
मिथक से ए आई तक
Shashi Mahajan
हे दिल ओ दिल, तेरी याद बहुत आती है हमको
हे दिल ओ दिल, तेरी याद बहुत आती है हमको
gurudeenverma198
कविता - छत्रछाया
कविता - छत्रछाया
Vibha Jain
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*रामपुर के राजा रामसिंह (नाटक)*
*रामपुर के राजा रामसिंह (नाटक)*
Ravi Prakash
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
इंसान भी तेरा है
इंसान भी तेरा है
Dr fauzia Naseem shad
"साये"
Dr. Kishan tandon kranti
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...