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20 May 2023 · 1 min read

सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।

सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
तनमन की सब थकन हर, गयी कहाँ तू रैन ।।

भोर सुनहरी आ गयी, जाग अरे ! जड़ जीव ।
भेद तमस मन का सकल,रख ओजस की नींव ।।

© सीमा अग्रवाल

Language: Hindi
2 Likes · 487 Views
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