सपनों सी एक गजल
बता दिया है तेरे दिल को हम चुरायेंगे
जहाँ कहीं भी रहो दूर अब न जाएंगे
कसम हमें है मुहब्बत को हम निभाएंगे
तुम्हारी राह में सौ दीप हम जलाएंगे
चले है साथ तो राहों में गुल खिलाएंगे
तुम्हारी राह से खारों को हम हटाएंगे
डरो नहीं कि ग़मों के ये साये पीछे हैं
अँधेरी रात में तारों सा जगमगाएंगे
कभी बहार कभी बागबाँ ये पूछेगा
तुम्हे जो देख के ये फूल महक जाएंगे
ये चांदनी ये सितारे हमें मिलाएंगे
नहीं है दूर बुलाते हीं जगमगाएंगे
बजेगी बांसुरी घनश्याम नजर आएंगे
बनूँगी राधिके तो कृष्ण मिल हीं जाएंगे
ये रात भीगी सी सपने सुहाने आँखों में
बता कि तू नहीं तो सो भी हम क्या पाएंगे
डा पुष्पा पटेल