सपनों का महल
सपनो का महल
जो बिना आधार खड़ा है
उसके चित्र अपनत्व के है
स्मृति के रूप में खड़ा है
भग्नावशेष खंडर सा
मूक हिमालय सा खड़ा है
विचारों की लड़ी पिरोकर
हार बनाने को खड़ा है
यह महल पुराने समय का
जिसमें स्वप्न का उभार सा खड़ा है
जीवन तो अनिश्चित है
सपनों के महल पर खड़ा है
इस महल के दरवाजे हमेशा खुले है
स्मृति का शिला रूप खड़ा है
जीवन स्मृति रेखा
बनकर मूक स्थिर खड़ा
कैसे बताए हाल ’अंजुम’
सपनों का साकार महल खड़ा है
नाम-मनमोहन लाल गुप्ता ’अंजुम’
जाब्तागंज, नजीबाबाद, जिला बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर-9152859828