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19 Feb 2024 · 1 min read

सपने

सपने तो सपने कभी
होते अपने कभी रह जाते सपने
सपने स्वंत्रत अन्तर्मन आकाश
विचरण करते।।
कल्पना यथार्त से परे
आविष्कार याथार्त इच्छा
परीक्षा पुरस्कार सपने सपनों
की आधारशिला नही यूं ही
काले अंधेरों में उभरी प्रतिबिंब
जैसे।।
प्रेम मनोकामना बैभव
चमत्कार का स्वागत सत्कार
सपने आत्मा मन मंथन के
रत्न सतरंगी सपने।।
निराकार की साकार धारणा
अवधारणा धरातल के बुल बुले
सतरंगी सपने।।
सत्य आस्था मिथ्या आकांक्षा
अवधारणा अस्तित्व होते ही
सपने आयु अवसर पल प्रहर
नही सपनो का छन भाँगुर सपने।।
स्मृति आकार नही स्पष्ट चामकदार
नही संसय,सत्यार्थ नही सपने
अतृतप्त अंतर्मन अविनि का
पराक्रम प्रबाह सपने।।

Language: Hindi
149 Views
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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