*तुम राजा हम प्रजा तुम्हारी, अग्रसेन भगवान (गीत)*
आगे बढ़ने दे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
कहना है तो ऐसे कहो, कोई न बोले चुप।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD