सपने श्रीकृष्ण के…
सपने श्रीकृष्ण के…
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कलियुग में अब कंस को भी,
श्रीकृष्ण के सपने आने लगे हैं।
चक्र सुदर्शन के भय से जो,
कंस भी देखो घबराने लगे हैं।
कहाँ गया वो राक्षसी अट्टहास,
जब एक-एक कर देवकी पुत्रों को,
पटक-पटक कर मार डाला था।
अब कैसे मन में,ज्ञान व वैराग्य छाने लगे हैं..
कलियुग में कंस को भी अब,
श्रीकृष्ण के सपने आने लगे हैं…
दुर्योधन ने भी देखा था, श्रीकृष्ण का सपना,
पर कब हुआ था वो,अधर्मियों का अपना ।
दुःशासन ने तो चौपड़ पे जो,बिछाई थी बिसातें,
पर पूरी हुई महाभारत में,पांडवों का ही सपना।
जाने कैसे-कैसे जज्बात, पापियों को भी आने लगे हैं…
कलियुग में अब कंस को भी,
श्रीकृष्ण के सपने आने लगे हैं…
जिस धर्म में तूने जन्म लिया हो ,
उसका ऋण तो चुकाना होगा ।
संस्कार धर्म का और कर्म मानव का,
ज़न-ज़न को बतलाना होगा।
धर्म की खातिर राम-कृष्ण के,
आदर्शों को अपनाना होगा।
सत्कर्मों के बल पर ही तो,
देखो अब ये युग परिवर्तन आने लगे हैं ।
कलियुग में अब कंस को भी,
श्रीकृष्ण के सपने आने लगे हैं…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०४ /०१ / २०२२
माह – पौष, शुक्ल पक्ष, द्वितीया,मंगलवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201