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31 Dec 2021 · 2 min read

सपने में बंदर…

सपने में बंदर
~~°~~°~~°
रात को मैंने,
सपने में बंदर को देखा था,
झुण्ड में बंदर,
दात किटकिटाते हुए,
मनुष्य के बच्चों की
भोजन की थाली में से,
खाने को झपट कर
खा ले रहा था ।
पूछ बैठा था मैं,बंदर से सपने में,
तुम तो हमारे पूर्वज ठहरे,
विकास की कड़ी में,
अभी तक,वहीं के वहीं क्यों हो।
उन्होंने टकटकी बांध मुझे देखा,
फिर बोला कि _
फ़रेबी स्वभाव मदारी का है,
मेरा नहीं,
उनसे पुछते क्यों नहीं।
बड़ा हैरान हो गया मैं क्योंकि ,
कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
चूँकि सपने में बंदर,
पहली बार आया था।
जब से सपनें में आया था बंदर,
विरोधाभास पल रहा था मन के अंदर,
अतः मन के भाव प्रवाह और,
सपने के तारतम्य में कोई,
संबंध स्थापित नहीं हो पा रहा था ।
क्या घटित होनेवाली है,
यह सोचकर मैं परेशान था।
दिन भर की भागदौड़ के बाद ,
शाम में घर को लौटते समय,
आशंकित था मैं,
मन में ख्याल आता कि,
कहीं रास्ते में किनारे खड़े,
वृक्ष से बंदर कूदकर ,
मेरे कंधे को न जख्मी कर दे।
रात्रि में सोने से पहले,
जब अपनी बेटी को फोन मिलाया,
तो स्विच ऑफ पाया।
हाल जानने के लिए,
जब उसकी सहेली को फोन मिलाया,
तो फिर बेटी से बात हूई।
वो बहुत दुखी थी कि,
शाम को ही कालेज गेट पर,
बाइकधारी दो युवकों ने,
उसके बहुमूल्य मोबाइल को,
झपट्टा मारकर छीन लिया था।
मैंने उसे ढाढ़स बंधाया,
फिर मुझे सपने के बंदर के,
रहस्य का पता चला,
वास्तव में वो सपने का बंदर,
आज के पथभ्रष्ट मानव की ओर,
इशारा कर रहा था।
ये भी पता चला कि,
मानव अब,विकास की श्रृंखला के,
उलट पथ पर चलते हुए,
फिर से बंदर काया प्राप्त,
करने की ओर अग्रसर है।
क्योंकि असली बंदर तो ,
मन के अंदर है ही ।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ३१ /१२ / २०२१
कृष्ण पक्ष ,द्वादशी , शुक्रवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 648 Views
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