” सपने बोरियों में “
सपने…….
कुछ बड़े कुछ छोटे
कुछ मीठे कुछ तीखे
कुछ सच्चे कुछ झूठे
सब बंद इन बोरियों में
आओ…….
इन्हें खोले
इन्हें जिये
इन्हें सच करें
एक – एक कर
इनकी गिनती कम करें ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/04/2013 )
सपने…….
कुछ बड़े कुछ छोटे
कुछ मीठे कुछ तीखे
कुछ सच्चे कुछ झूठे
सब बंद इन बोरियों में
आओ…….
इन्हें खोले
इन्हें जिये
इन्हें सच करें
एक – एक कर
इनकी गिनती कम करें ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/04/2013 )